रविवार, 8 मई 2022

मां के साथ ..मां के बाद

 







..मां के साथ ..मां के बाद.✍️

मां, मां ही नहीं एक पूरी 

कायनात होती है।

जब जिंदगी में धूप होती,

मां बरसात होती है।

गर कुछ बे-हिसाब होती है 

मां की दात होती है।

मुक़द्दर भी खौफ़ में होता,

जो मां की बात होती है।

मां कहती है न भूल रब को

जब अरदास होती है।

जब भी ग़मज़दा होता हूँ 

मां पास होती है।

उदय वीर सिंह।

11 टिप्‍पणियां:

Ravindra Singh Yadav ने कहा…
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Ravindra Singh Yadav ने कहा…
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विश्वमोहन ने कहा…
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संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…
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नूपुरं noopuram ने कहा…
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कविता रावत ने कहा…
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anita _sudhir ने कहा…
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Payal Patel ने कहा…
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