..मां के साथ ..मां के बाद.✍️
मां, मां ही नहीं एक पूरी
कायनात होती है।
जब जिंदगी में धूप होती,
मां बरसात होती है।
गर कुछ बे-हिसाब होती है
मां की दात होती है।
मुक़द्दर भी खौफ़ में होता,
जो मां की बात होती है।
मां कहती है न भूल रब को
जब अरदास होती है।
जब भी ग़मज़दा होता हूँ
मां पास होती है।
उदय वीर सिंह।
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