शुक्रवार, 25 नवंबर 2022

आंसू की विदाई क्यों लिखता


 



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लिखने  को  सूरज  चांद  प्रखर,

दीपक की बधाई क्यों लिखता।

जब आंखें हैं तो आएंगे ही

आँसू की विदाई क्यों लिखता।

काफी  हैं  झूठ  फ़रेब  कलुष

मेहनत की कमाई क्यों लिखता।

होता निर्वाह पसीना बहके भी

बेशक  महंगाई  क्यों  लिखता।

भीड़  अगर  खामोश  न  होती,

सफ़र -ए-तनहाई क्यों लिखता।

देखा  सबने  पर  देख  न  पाए

बाजीगर की सफाई क्यों लिखता।

उदय वीर सिंह।