रविवार, 27 नवंबर 2022

संविधान दिवस की बधाई


 




........✍️

शायद!

बहुत 

गहरे तक दरक 

गयी है,

दीवार ही नहीं 

छत भी,

गिर सकती है कभी भी..

जिसके नीचे 

सहज सरल समभाव में थे- 

अमन विकास सुरक्षा शिक्षा   

स्वास्थ्य न्याय संस्कृति अवसर सहकार अभिव्यक्ति...।

उसके नीचे निर्मित

 हो रहे हैं 

विशाल दलदल,

पार्श्व में  मरुस्थल।

आदिमता रूढ़ियाँ आस्था मान्यता मिथकों असमानता अन्याय के तमाम...।

शायद वे विकल्प होंगे

समता ममता दया 

करुणा,न्याय

प्रेम शांति सद्द्भाव अवसर

उन्नति

मानवीयता के...।

उदय वीर सिंह।

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