शनिवार, 28 जनवरी 2023

समाचार हो गया....


 





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पन्ना  मेरी जेब का अख़बार हो गया।

दर्द मेरा अपना था समाचार हो गया।

मैंने दर्द में दीआवाज कोई नहीं आया , 

मेरी खुशी से सबका सरोकार हो गया।

खंडहरों ने भी मना किया पनाह देने से

तूफान से तबाह मेरा घर-बार जो गया।

सब लौटआये छोड़कर मुझे जाने वाले,

जब  कामयाब  मेरा कारोबार हो गया।

चले गए बे-मुरौअत मेरा हाथ छोड़कर,

जब मेरे  ऊपर ढेर सारा उधार हो गया।

मैं  छोड़ आया बे-फिक्र बहारों की गली

जब  कांटो  पर  मुझे पूरा ऐतबार गया।

नासमझ था खुली थी जब अपनीआंखें 

बंद कर ली आंखें  समझदार जो गया।

उदय वीर सिंह।

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