साथ आया वही हम -सफ़र बन गया /
लेके गम , देना खुशियों को ,चाहत मेरी ,
लौट आये हंसी ,जो सबब बन गया ---
निकले तनहा , सफ़र ,तुम आ गए ,
हौसला इस कदर ,कारवां बन गया .-----
आत्म -बल का भरोषा, ले मजबूतियाँ ,
सूनी आँखों के सपने संवरने लगें /
शिक्षित ,संगठित , शक्तिशाली, उदय ,
लड़खड़ाते कदम ,जब थिरकने लगें /
स्वावलंबन की धुन, साथ सम्मान भी ,
कदम मिल चलें , तो डगर बन गया /
हर भारतवासी, निवासी, इकाई बने ,
जलाये दिए , जहाँ दिनकर ना हो /
क्यों बंचित रहे मेरा शालीन भारत ,
प्रवक्ता बने ये , निरुत्तर ना हो /
सबको संज्ञान देने का संकल्प है ,
दर्द अपना लिया ,बे-खबर हो गया /
उदय चाहता दो कदम साथ चल ,
रंग भर लो , सपनों का सहर बन गया /
---- उदय वीर सिंह
२८/०९/२०१०
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