लौट आना शाम हो गयी ---------/
रब्बा खैर देवे मेरे स्वाभिमान की ,
दिल की बातें आम हो गयी /
टुरते है पैर आस आने की हो गयी ,
, भूली -बिसरी यांदें ज़माने सी हो गयी -------/
शीतल शमीर अहसास मेनू दे गया ,
माही मेरा आगया, कहानी जैसी हो गई/------
शाम रंगी है शतरंगी तेरे नाम- की ,
उलझन में खो के ओ, अनाम हो गयी------
अमावास की रात पूरनमासी सी लागे है ,
धुंधली निगाहें सितारों सी हो गई------
तपता मरुस्थल सुना ,सावन सा हो गया,
सूनी -सूनी ,राहें बहारों सी हो गई -----
पाई लम्बी सजाए ,इंतजार दी,
तेरी खुशिंया इनाम हो गई,------
, करना कुबूल तो विशाल दिल, देना ,
अतल गहराइयों में घूम -घूम आंऊ मै /,
सुनामी दी लहरोँ नूं दिल विच समां संकू ,
आराध्य तेरी शान, को बलि-बलि जाऊँ मैं /
पाई दात हमने अपणे मांगी अरदास दी,
उदय, खोई शाम अपनी ,अब नाम हो गई /
उदय वीर सिंह /
०२/१०/2010
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