मेरे घर में हो रोसन सबेरा कभी /-------------
रौनके रंग महलों गिला क्या करूं,
मेरे घर भी हो खुशियों का डेरा कभी /----------
छींक आयी नहीं एम्स ,जाना उन्हें ,
उनके कुत्ते का घुटना बदल जायेगा /
टी .बी.,कैंसर ,टुँमर,साथ ले चल रहा ,
योग बाबा का करते उपर जायेगा /
आंग्ल-भाषी ,प्रवाशी ,अधिशाषी बने ,
मात्री-भाषी उदय पाए बेरा कभी /------------
नंगा रहना नया उनका फैशन बना ,
नंगे रहना मुझे, मेरी मजबूरी है /
अन्न त्यागा छरहरी काया के लिए ,
भूखे रहना बिपन्नों, की मजबूरी है /
उच्च -शिक्षा मुबारक विदेशी पठन ,
सर्व -शिक्षित ,सर्वहारा हो धारा कभी /------
बस्तियां अब बनेगी मंगल ,चाँद पर ,
ये धरती ,अब रहने के काबिल नहीं /
पाप धोया ,निचोड़ा ,अकथ गन्दगी ,
पावन गंगा भी ,पिने के काबिल नहीं /
पांच- तारा की कल्चर मुबारक उन्हें ,
ईद,होली ,बैसाखी हो हमारा कभी /------
उदय वीर सिंह .
३१/१०/२०१०
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