सोमवार, 8 नवंबर 2010

स्वागतम -स्वदेश में

स्वागतम ,श्रीमान ,
प्रणाम ,  महर्षियों   के देश में ,
आगमन प्रतीक्षित,   ,शक्तिशाली   देश के नायक  का ,
संभव हुआ /
उपकार  सा लगता है  आपका आना   ,
विशाल हृदय  ,व्यापारी बन /
बेचने आये  विदेशी सामान  ,गाँधी के स्वदेशी ठांव  में,
'भविष्य  का बाज़ार है ' ,भारत महान,
सीमा बता दी आपने,  हम उपभोक्ता हैं !
आप निर्माता ,विद्वान  ,संचालक  ,दे सकने वाले  /
लेने को आतुर ,
खड़े हैं ,प्रतीक्षा में ! प्रद्योगिकी ,प्रबंधन,प्रशिक्षण !
जो हमारे खून में प्रचुरता से पाई जाती है  /
क्यों कि हम जगद्द्गुरुओं के  वारिश ,
बोई फसल   भी  ना  काट  सके /
'ठंढा पानी-चुपड़ी रोटी'  का भोग लगाते रहे ,
जीते रहे विस्वास में ,
कोई ओबामा  आयेगा ,बनाएगा सिरमौर स्वतः ,
अवतार का भ्रम ,संजोया मन /
खोते रहे संघर्ष  , बोते रहे  घृणा  ,
डूबते रहे चुल्लू भर पानी में  /
 बिना प्रयत्न   !   पाएंगे     रत्न ?
कैसे ?
ये भी शायद श्रीमान ,!समझायेंगे ?
जो खुद बचाने को साख , टूटता जनाधार ,
पीड़ित ,मंदी की मार ,नस्लियता का दंश ,
दिवालिया होता अर्थ तंत्र ,संस्कार में सूनापन ,
ह्रदय बेचैन !  उपचार  कहाँ ?
यंहां  !
औषधि ढूँढने  आये  हैं  ?
स्वागतम!  विशाल -हृदय    परिवेश   में /
महर्षियों के देश में  /
कर हम  अतीत को याद,  वर्तमान संवारेगे ,
कर लेंगे भविष्य सुनिश्चित  /
चल पड़े हैं संकल्प ले  /
कर लेंगे अनेकों अमेरिका  का निर्माण  /
सरदार बनेंगे  युग का  ,
हास्य -व्यंग  का पर्याय  नहीं होंगे   /
अतिथि का सम्मान करना  आता है ,करेंगे सम्मानित ,
पर" सम्मान की कीमत  पर ना हो अपमानित "  /
सूत्र वाक्य है ! स्मरण करना होगा ,
हम वारिस हैं  - देव- ऋषियों के देश के  /

                               उदय वीर सिंह
                                ७/११/२०१०

 

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