दुर्बल ,
अपाहिज ,लाचार ,फैलाये हाँथ ,
दोनों पैरों से हीन ,
मदद करो ! दया करो !भगवान के लिए !
आ रहा घिसटता , देता आवाज ,रेल के डिब्बों में /
टिकट साधारण ,
भीड़ का आलम ,सौचालय भी कम पड़ गये ,
मजबूर , मजदूर यात्रियों से ,जो चले तलाश में सुखी जीवन की परदेस में ,
दुर्बल चला गया ,आरक्षित डिबे में ,भीड़ से बचने के उपक्रम में ,
क्यों की बीमार था ,
बाथरूम के पास खड़ा ही तो था !
मैला -कुचैला ,लिए थैला
जिसमें ,एक फटी चादर ,व पैबंद लगी लुंगी थी ,
जा रहा था नाबालिग बेटे के श्राद्ध में ,
बेटा मजदूर था ,मारा गया घटिया निर्मित उपरगामी पुल के मलबे में /
आभाव में संस्कार में नहीं पहुंचा ,नहीं देख पाया मरे बेटे का मुंख
ना दे सका अग्नि जिगर के तुकडे की लाश को /
एक अदद पूंजी बकरी बेंची ,कुछ इंतजाम हुआ भाड़े का ,
लुगाई ना जा सकी संग ,
दूसरा ना था कुछ उसके पास बेचने को /
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टिकट,टिकट ,करता आया टी. टी ,
डाली नज़र सहमी हुई कृशकाया पर
माँगा टिकट !
दिया टिकट , कांपते हांथों से ,
टेढ़ी नज़र,--ये साधारण टिकट ------
तू कैसे आया इस डिब्बे में ?
तेरी मजाल--तेरी माँ की-----तेरी -बहन की----
सौक नबाबों का ?------
निकाल पैसे ! बनवा टिकट ! दंड के साथ /-----
नहीं तो भेजूंगा जेल ! मरूँगा बीस गिनूंगा एक /
सर ! मेरी मज़बूरी यहाँ ले आई ,पांव रखने को नहीं मिली जगह ,
बीमार हूँ , दमा है मुझे / श्राद्ध में शामिल होने दो बेटे के / -----
यहीं काट लूँगा सफ़र ,गलियारे में ,कोने में ,
,,पैर पकड़ गिड़-गिडाया / तरस नहीं आया ,बाबु जी को /
साले ! ड्रामा करते हो ?
मैं जनता हूँ तुम लोगों की फितरत !
निकाल पंद्रह सौ ,वर्ना जायेगा जेल ,
सर मंजूर मुझे ,जो सजा दो ,मालिक हैं आप ,
ठीक है ,पांच सौ दो , सीट दे दूंगा /-------
बाबू जी ! भूखा हूँ कल से ,बस बीस रुपये बचे हैं ,टिकट के बाद ,
चाहें तो दे दूं ! जो किराया है दिल्ली की बस का /
झल्लाया साहब ,बदतमीज !स्लीपर मिलता बीस में ?
मैं मसखरा लगता हूँ ? पकड़ी गर्दन ,
चल बाहर ! इसी वक्त !-------,
जोड़े हाँथ ! बख्स दो बाबू जी ! अगले स्टेशन उतर जाऊंगा /
रहम करो ! पीछे दुखों की मारी , पगली सुखना भी है ,
अब ,कोई नहीं मेरे सिवा उसका /
पद , प्रतिष्ठा , अधिकार का जोश !
ऊपर से रिश्वत ना मिलने का रोष ,
ना देखी गति ना सोचा परिडाम ,
दे दिया धक्का ,चलती ट्रेन से /
दुर्बल गिर पड़ा !
होश आया तो , पाया अस्पताल में , पैर- विहीन ,
मजबूर लाचार /--
करुण- क्रंदन ,वेदना प्रवाहित ----
बाबू जी !---
हमको तो मिला-- -दर्द , उपेक्षा ,बेबसी लाचारी ,
गम से मरी , बीबी का विछोह ,
अपनी लाश !ढ़ोने को अपने कन्धों पर,
सदा के लिए /---
आपको क्या मिला ?----
उदय वीर सिंह
०१/१२/२०१०.
1 टिप्पणी:
ओह ...बहुत मार्मिक चित्रण
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