मेरे घर में नहीं है, चिरागों की महफ़िल ,
घर सितारों से मेरा , बहुत दूर है -----
मेरे आंचल में , खुशियों का गहमर नहीं ,
घर , बहारों से , मेरा बहुत दूर है ------
मांग लाया कहीं से , एक पल की ख़ुशी ,
वरना खुशियों से नाता , बहुत दूर है -------
आ गये आपके जब ख्यालों में हम ,
अफशोस है की , हम क्यों आ गये /
बनके परिमल , फिजाओं में कैसे रहें ?
घर हमारा गुलशन से , बहुत दूर है -------
नेह लेकर ना देना , मुनासिब नहीं ,
शराफत तो कहती है लौटाइये ,
रह गये , जो जिगर में , बनेंगे जहर ,
दर इलाज -ए- मुकम्मल बहुत दूर है ------
दे दो हमको उदय थोड़ी खामोशिंयाँ,
मेरे होठों से गीतों का घर दूर है ----------
उदय वीर सिंह
०५/०२/2011
घर सितारों से मेरा , बहुत दूर है -----
मेरे आंचल में , खुशियों का गहमर नहीं ,
घर , बहारों से , मेरा बहुत दूर है ------
मांग लाया कहीं से , एक पल की ख़ुशी ,
वरना खुशियों से नाता , बहुत दूर है -------
आ गये आपके जब ख्यालों में हम ,
अफशोस है की , हम क्यों आ गये /
बनके परिमल , फिजाओं में कैसे रहें ?
घर हमारा गुलशन से , बहुत दूर है -------
नेह लेकर ना देना , मुनासिब नहीं ,
शराफत तो कहती है लौटाइये ,
रह गये , जो जिगर में , बनेंगे जहर ,
दर इलाज -ए- मुकम्मल बहुत दूर है ------
दे दो हमको उदय थोड़ी खामोशिंयाँ,
मेरे होठों से गीतों का घर दूर है ----------
उदय वीर सिंह
०५/०२/2011
1 टिप्पणी:
वाह ...बहुत ही सुन्दर हर पंक्ति ।
।। मेरे ब्लाग पर आपके प्रथम आगमन का स्वागत है ।।
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