[ यशश्वी भारत की , गौरवमयी राष्ट्र - भाषा " हिंदी " को समर्पित, हिंदी -दिवस के शुभ अवसर पर समस्त भारत -वंशियों को शुभ कामनाएं .]
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हिंदी का घर हिंदी वालों का घर ,
हिंद में हिंदीवासी बेघर हो रहे हैं ....
हिंदी की रोटी हिन्दीवालों से खायी ,
करोड़ों के स्वामी सिकंदर बने हैं ,
परहेज हिंदी से इतना है उनको ,
मिटाने में उसको निरंतर लगे हैं .
जिसके आँचल में था दूध धारा व अमृत
जिसके आँचल में था दूध धारा व अमृत
क्या हुआ क्यों हुआ सब जहर हो रहे हैं .
वक्तव्य अपना न हिंदी में देंगे ,
पिछड़ों की भाषा है हिंदी बेचारी ,
बोलेंगे पढेंगे , लिखेंगे , विदेशी ,
फिर भी आश्रयदाता है हिंदी हमारी .---
ए रंगीले अपाहिज कब सोचेंगे खुद को ,
भाषा की गुलामी को सिर ढो रहे हैं .
पुज्यनिया है हिंदी , नहीं बोलने को ,
चुनावों की भाषा चुनावों तक रखना ,
मतदाता की भाषा से सत्ता तक पहुंचा ,
सत्ता में हिंदी का कोई न अपना --
फंसी राजनीती में हिंदी हमारी ,
अपने राहों में कांटे हम खुद बो रहे हैं ....
घर में हिंदी से अपने कतराते हैं नेता ,
सभावों में ऊँचा बताते हैं नेता ,
बेटी -बेटों को इंग्लिश पढ़ाते हैं नेता ,
समझ से बहुत दूर नेता अभिनेता ---
हृदय में बसा है , गुलामी का जज्बा ,
जागेंगे ये कब तक ,ये अब तक सो रहे हैं .
प्रतिबन्ध मुखिया विदेशी न होवे ,
भाषा विदेशी हो बिलकुल चलेगा ,
हिंदी की खातिर प्रकाशक ना होगा ,
ना कोई पढ़ेगा ना कोई सुनेगा .--
हिंदी राष्ट्र -भाषा है नेता जी कहते ,
दूसरों की शैया पर खुद सो रहे हैं ---
अरे ज्ञानियों ! मुड़ के देखो तो पीछे ,
एक भाषा बिना मेरा गूंगा है भारत ,
दे दो हिंदी का स्वर, एक धारा बनो
जग -नायक बनेगा ,यशश्वी है भारत --
एक पथ का सृजन ,साथ मिलकर चलें ,
नहीं जानते की हम क्या खो रहे हैं ---
वादों - विवादों को ,तजो हिंद वालों ,
पुज्यनिया है हिंदी , नहीं बोलने को ,
चुनावों की भाषा चुनावों तक रखना ,
मतदाता की भाषा से सत्ता तक पहुंचा ,
सत्ता में हिंदी का कोई न अपना --
फंसी राजनीती में हिंदी हमारी ,
अपने राहों में कांटे हम खुद बो रहे हैं ....
घर में हिंदी से अपने कतराते हैं नेता ,
सभावों में ऊँचा बताते हैं नेता ,
बेटी -बेटों को इंग्लिश पढ़ाते हैं नेता ,
समझ से बहुत दूर नेता अभिनेता ---
हृदय में बसा है , गुलामी का जज्बा ,
जागेंगे ये कब तक ,ये अब तक सो रहे हैं .
प्रतिबन्ध मुखिया विदेशी न होवे ,
भाषा विदेशी हो बिलकुल चलेगा ,
हिंदी की खातिर प्रकाशक ना होगा ,
ना कोई पढ़ेगा ना कोई सुनेगा .--
हिंदी राष्ट्र -भाषा है नेता जी कहते ,
दूसरों की शैया पर खुद सो रहे हैं ---
अरे ज्ञानियों ! मुड़ के देखो तो पीछे ,
एक भाषा बिना मेरा गूंगा है भारत ,
दे दो हिंदी का स्वर, एक धारा बनो
जग -नायक बनेगा ,यशश्वी है भारत --
एक पथ का सृजन ,साथ मिलकर चलें ,
नहीं जानते की हम क्या खो रहे हैं ---
वादों - विवादों को ,तजो हिंद वालों ,
हिंदी है पावन विवसता नहीं है ,
अभिव्यक्ति सफलता को देती है आँगन ,
राष्ट्र - भाषा बड़ी है, अमरता नहीं है --
आओ जगाएं ,उन सारे जनों को ,
घरों में जो अपने ,बेखबर सो रहे हैं -----
उदय वीर सिंह .
१४/०९/२०११
अभिव्यक्ति सफलता को देती है आँगन ,
राष्ट्र - भाषा बड़ी है, अमरता नहीं है --
आओ जगाएं ,उन सारे जनों को ,
घरों में जो अपने ,बेखबर सो रहे हैं -----
उदय वीर सिंह .
१४/०९/२०११
19 टिप्पणियां:
हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.
भाई उदय जी आपके हृदय की वेदना कविता बनकर फूट पड़ी है |बधाई और शुभकामनाएं
घर में हिंदी से अपने कतराते हैं नेता ,
सभावों में ऊँचा बताते हैं नेता ,
बेटी -बेटों को इंग्लिश पढ़ाते हैं नेता ,
समझ से बहुत दूर नेता अभिनेता ,
बहुत सच कह रहें हैं आप उदय जी.
हिन्दी का बदहाल हमारे खुद के लोग ही करने में लगे हैं.परन्तु,यदि आप जैसे उदार और कर्मठ लोग
यूँ ही प्रेरणास्पद लिखते रहेंगें,तो हिन्दी अपनी
खोई प्रतिष्ठा जरूर प्राप्त करके रहेगी.
सुन्दर लेखन के लिए आभार.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
बात सही है। शुभकामनायें! जहाँ आत्मविश्वास की कमी हो वहाँ कुछ कैसे बदले!
हिन्दी दिवस की शुभकामनाओं के साथ ...
इसकी प्रगति पथ के लिये रचनाओं का जन्म होता रहे ...
आभार ।
हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
हिंदी दिवस पर इस उत्कृष्ट रचना के लिए आपको नमन करती हूँ। जहाँ तक संभव हो हमें हिंदी में ही लिखना और बोलना चाहिए अपने भारत-स्वाभिमान के लिए। हिंदी हमारी शान है , हमारी पहचान है।
सुन्दर प्रस्तुति...आभार
वंदना गुप्ता जी की तरफ से सूचना
आज 14- 09 - 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
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हिंदी की जय बोल |
मन की गांठे खोल ||
विश्व-हाट में शीघ्र-
बाजे बम-बम ढोल |
सरस-सरलतम-मधुरिम
जैसे चाहे तोल |
जो भी सीखे हिंदी-
घूमे वो भू-गोल |
उन्नति गर चाहे बन्दा-
ले जाये बिन मोल ||
हिंदी की जय बोल |
हिंदी की जय बोल
निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटत न हिय को शूल।।
--
हिन्दी दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
हिन्दी हमारी रग-रग में बसी हुई है।
उदय जी ..बहुत सच कह रहें हैं आप..बधाई और शुभकामनाएं....हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.
gahan chintan karwati rachna....
हिन्दी भाषा का दिवस, बना दिखावा आज।
अंग्रेजी रँग में रँगा, पूरा देश-समाज।१।
हिन्दी-डे कहने लगे, अंग्रेजी के भक्त।
निज भाषा से हो रहे, अपने लोग विरक्त।२।
बिन श्रद्धा के आज हम, मना रहे हैं श्राद्ध।
घर-घर बढ़ती जा रही, अंग्रेजी निर्बाध।३।
सुन्दर प्रस्तुति...बधाई
आओ जगाएं ,उन सारे जनों को ,
घरों में जो अपने ,बेखबर सो रहे हैं -----
bahut sarthak kavita ...
hindi ki seva me satat lage rahen ...
shubhkamnayen....
अरे ज्ञानियों ! मुड़ के देखो तो पीछे ,
एक भाषा बिना मेरा गूंगा है भारत ,
दे दो हिंदी का स्वर, एक धारा बनो
जग -नायक बनेगा ,यशश्वी है भारत.
बहुत कविता हिंदी के दर्द को बखूबी बयां कर रही है. बहुत सुंदर बधाई.
अरे ज्ञानियों ! मुड़ के देखो तो पीछे ,
एक भाषा बिना मेरा गूंगा है भारत ,
दे दो हिंदी का स्वर, एक धारा बनो
जग -नायक बनेगा ,यशश्वी है भारत --
.....हिंदी की व्यथा का बहुत सजीव चित्रण..हार्दिक शुभकामनाएं.
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