हमने काटा है , उन्होंने बोया था ,
वो काटेंगे , जो हमने बोया है-
प्रश्न उठते हैं , कहीं बिरानों से ,
किसने पाया है , किसने खोया है -
कोख सूनी थी ,विकल नहीं था मन ,
भरी जो कोख , कहीं परायी सी है ,
अदम्य साहस , हृदय में ज्वाला थी ,
किसी की बंधक , कहीं समायी सी है-
टूट, विखरा है , जिसे संजोया था ,
स्वप्न आँखों में, आज रोया है -
यौवन,स्वप्न,जीवन अभिलाषा मन की
सौम्य भारत के , द्वार अर्पण था -
हृदय और सूरत जैसी उनकी थी ,
दिखा वही सबको ,दिखाता दर्पण था-
रक्त फूटा धमनियों से ,शांति बोने को,
अंगार से घिरा है , फिर भी सोया है -
थे नियंत्रित घटा ,घन ,पवन, मधुवन
पार्थ ,केशव की मिली ,विरासत अपनी,
आग हिमनद में आज , वादियाँ सूनी,
विषाक्त आँचल , स्नेह सरिता अपनी -
प्यास खूनी है ,वक्षस्थल, मरुस्थल है ,
दर्प जागा है , ज्ञान सोया है -
विभाजित हुआ हृदय,मानव से दूरियां ,
निष्ठा बदल गयी , पहरु बदल गए ,
पंछी एक दरख़्त के विस्थापित हो गए
गीत उनके बदले , कलरव बदल गए-
अभिशप्त नहीं ये धरती ,इतना तो भान है,
गौरव पुनः ले आयें , जिसे डुबोया है-
उदय वीर सिंह
24-04 -2012
13 टिप्पणियां:
बहुत उम्दा और सार्थक प्रस्तुति!
बहुत सुंदर................मुराद ज़रूर पूरी होगी.......
सादर.
बहुत सुंदर................मुराद ज़रूर पूरी होगी.......
सादर.
उबारने के प्रयास तो करने ही होंगे।
विभाजित हुआ हृदय,मानव से दूरियां ,
निष्ठा बदल गयी , पहरु बदल गए ,
पंछी एक दरख़्त के विस्थापित हो गए
गीत उनके बदले , कलरव बदल गए-
sundar srijan , badhai.
विभाजित हुआ हृदय,मानव से दूरियां ,
निष्ठा बदल गयी , पहरु बदल गए ,
पंछी एक दरख़्त के विस्थापित हो गए
गीत उनके बदले , कलरव बदल गए-
sundar srijan , badhai.
वाह!!!!बहुत सुंदर प्रस्तुति,....
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: गजल.....
बहुत गहन भाव लिए सुंदर प्रस्तुति
बहुत सुन्दर रचाना
बहुत ख़ूब!!
अभिशप्त नहीं ये धरती ,इतना तो भान है,
गौरव पुनः ले आयें , जिसे डुबोया है-
सुन्दर उद्द्बोधन.
विभाजित हुआ हृदय,मानव से दूरियां ,
निष्ठा बदल गयी , पहरु बदल गए ,
पंछी एक दरख़्त के विस्थापित हो गए
गीत उनके बदले , कलरव बदल गए-
वाह! बहुत सुंदर और सार्थक प्रस्तुति
आशावादिता का स्वर इस कविता का प्रेरक है।
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