बुधवार, 6 जून 2012

भाव -अनुभाव


खड़े   हैं  शान   से , गुरुर  है  की   हम   चलते   नहीं .
फासले    कायम   है  ,  न  वो   आये  न   हम   आये -


रोक  हवाओं को ,पयाम देना कि   हम  भी अच्छे हैं ,
अन्दर   आग    का   दरिया ,   ऊपर   सर्द   मंजर है -


हवाओं का सर्द होना उनके कूचे  को  बयां  करता है
नमीं   इतनी  की  शोला  भी लगे  शबनम  की तरह -


थोडा खार भी होना ,बदकार वो  मक्कार  भी  होना
मंजूर    है   तेरी    सोहबत ,  नामंजूर  है खुदा  होना -


रुखसार   दा   आलम  ,  समाता   नहीं   वरक  बिच,
जिंदगी      है       की    ,    मुहल्लत       नहीं      देती-  .


हुश्न    की   आग   में  न  पूछो   जले    कितने   ताज ,
हुश्न     कायम     रहा ,    किस्मत     बदलती     रही -


गैरों     की   शिफत   कि  , अपना   बनाने    निकले ,
वरना  अपने   ही    रुखसत  होते  हैं,  कुचे  - यार  से- 





                                                             उदय  वीर  सिंह     







11 टिप्‍पणियां:

अरुन अनन्त ने कहा…

बेहतरीन बहुत सुन्दर
(अरुन =arunsblog.in)

Anupama Tripathi ने कहा…

गैरों की शिफत की , अपना बनाने निकले ,
वरना अपने ही रुखसत होते हैं, कुचे - यार से-
gambheer shayari ..
bahut achchhi lagi ...
shubhkamnayen ...

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

हुश्न की आग में न पूछो जले कितने ताज ,
हुश्न कायम रहा ,किस्मत बदलती रही -

वाह ,,,, क्या बात है,,,सुंदर नज्म ,,,,,

MY RESENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: स्वागत गीत,,,,,

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

मन के भावों की सुनहरी छिटकन।

Maheshwari kaneri ने कहा…

हवाओं का सर्द होना उनके कूचे को बयां करता है
नमीं इतनी की शोला भी लगे शबनम की तरह -,,,वाह: उदय जी बहुत सुन्दर नज्म...

ZEAL ने कहा…

खड़े हैं शान से , गुरुर है की हम चलते नहीं .
फासले कायम है , न वो आये न हम आये -

Many at times. it happens like that only....

.

Sudheer Maurya 'Sudheer' ने कहा…

bahut sundar sir....

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

थोडा खार भी होना ,बदकार वो मक्कार भी होना
मंजूर है तेरी सोहबत , नामंजूर है खुदा होना -

बहुत खूब

सदा ने कहा…

खड़े हैं शान से , गुरुर है की हम चलते नहीं .
फासले कायम है , न वो आये न हम आये -
वाह ... बहुत ही बढि़या।

मन के - मनके ने कहा…

ज़िंदगी के फ़लसफ़े हैं हज़ार,आपने समेटा है उन्हें बडे प्यार से.

मन के - मनके ने कहा…

ज़िंदगी के फ़लसफ़े हैं हज़ार,आपने समेटा है उन्हें बडे प्यार से.