जिंदगी के हसीं पल ,
तेरे हाथ , मेरे हाथ थे .
मंजिल रही कदमों में ,
जब कदम साथ थे
दूरियां थीं अनंत ,
हिसाब था सिफ़र,
जब भी याद आई ,
कितने पास थे -
बढ़ता गया जिंदगी का,
किरदार इतना
पहनते गए नकाब ,
हम खुली किताब थे -
बह गए जज्जबात ,
अश्कों के साथ
दिल में रह गए हैं जो,
देखने को ख्वाब थे-
छोड़ जायेंगे हुस्नों- ताज,
साथ ही कितना ,
दिले - हमदर्द के,
न साथ थे ,न आबाद थे -
जिंदगी उस मकान का
मलबा बन गयी ,
दर्द , मुफलिसी के दर्ज ,
जिसमें हिसाब थे-
रोई थी, मिलकर गले,
गुमनाम सी , जिंदगी ,
हाथ खाली न दाद थे ,
न इमदाद थे -
मुठ्ठी भर, आश बोई है
हमराह ,चमन के लिए ,
हँसेंगे खिलखिलाकर ,
जो हसरतों के, बाग थे-
उदय Sवीर सिंह
3 टिप्पणियां:
मुठ्ठी भर, आश बोई है
हमराह ,चमन के लिए ,
हँसेंगे खिलखिलाकर ,
जो हसरतों के, बाग थे-
बहुत सुंदर भाव पूर्ण बेहतरीन पंक्तियाँ,,,,,
RECENT POST ...: पांच सौ के नोट में.....
छोड़ जायेंगे हुस्नों- ताज,
साथ ही कितना ,
दिले - हमदर्द के,
न साथ थे ,न आबाद थे -
वाह बहुत गहरा..
खरगोश का संगीत राग रागेश्री पर आधारित
है जो कि खमाज थाट का
सांध्यकालीन राग है,
स्वरों में कोमल निशाद और बाकी
स्वर शुद्ध लगते हैं, पंचम
इसमें वर्जित है, पर हमने इसमें अंत
में पंचम का प्रयोग भी किया है, जिससे इसमें
राग बागेश्री भी झलकता है.
..
हमारी फिल्म का संगीत वेद नायेर ने दिया है.
.. वेद जी को अपने संगीत कि
प्रेरणा जंगल में चिड़ियों कि चहचाहट से मिलती
है...
Here is my web blog संगीत
एक टिप्पणी भेजें