मंगलवार, 14 अगस्त 2012

वतन के गुनहगारों ...

                    प्यारे देश वासियों  ,जय हिंद  !    


वतन  की शान में , कुर्बान ,
वफादार          होते        हैं ,
मात्री - भूमि  के  गुस्ताख ,
यार  नहीं , गद्दार   होते  हैं -

बाबर का  खून ,औरंगजेब

की दुनिया  ,दफ़न हो गयी 
वहसी    आततायियों   के
दिन   ,    दो   चार  होते  हैं -

शमशीर कहती है फख्र  से, 

उल्फत   हो   गयी  हमको ,
दिवान-  ए- वतन ,अजीज ,
सोहबत-  ए-  यार  होते  हैं -


                                                                                                                                                                                                  
                                                                             {शहीद   बाबा   दीप   सिंह   जी,
                                                                              शीश कटने के बाद भी लड़ते रहे 
                                                                               गंतव्य हरमंदिर  साहिब पहुंचे]
जिसने    कोख   में जन्मा ,   
दी    ज़मीन      पैरों     को ,
देने  वाले  ठोकर ,मक्कारो ,
बदकार        होते           हैं -

जिनकी शहादत से  कायम

वजुद रश्मों रसूख  है   तेरा ,
हजारों    जन्नत    जिनके ,
कदमों    में   निसार  होते हैं-

गैरत मरी नहीं,चिरागे हिंद 

रखते   हैं,  अंगार  सिने में ,
जर्रे , जर्रे   में,   भारत   के  ,
भगत सिंह,आजाद होते हैं-

देश- द्रोह  है ,शहीदों व  देश 

का  अपमान  करने  वालों !
तारीख  गवाह  है ,हथेली में ,
सिर   लिए,  सरदार होते हैं - 

                                              उदय वीर सिंह  
                                                 14/08/2012





13 टिप्‍पणियां:

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बाबर का खून ,औरंगजेब
की दुनिया ,दफ़न हो गयी
वहसी आततायियों के
दिन ,दो चार होते हैं,,,,

आपने सही कहा,,,,
बेहतरीन प्रस्तुति के लिए बधाई,,,,,उदय जी,,,
स्वतंत्रता दिवस बहुत२ बधाई,एवं शुभकामनाए,,,,,
RECENT POST ...: पांच सौ के नोट में.....

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

इतिहास के पन्ने साक्षी हैं..

Dr.J.P.Tiwari ने कहा…

गैरत मरी नहीं,चिरागे हिंद
रखते हैं, अंगार सिने में ,
जर्रे , जर्रे में, भारत के ,
भगत सिंह,आजाद होते हैं-

देश- द्रोह है ,शहीदों व देश
का अपमान करने वालों !
तारीख गवाह है ,हथेली में ,
सिर लिए, सरदार होते हैं -


ऐतिहासिक तथ्यों का स्मरण कराती ओजपूर्ण में अभिव्यक्र देश भक्ति गीत को सतत नमन. लेखनी को भी प्रणाम.

mridula pradhan ने कहा…

lazabab.....

Rajput ने कहा…

बाबर का खून ,औरंगजेब
की दुनिया ,दफ़न हो गयी
वहसी आततायियों के
दिन , दो चार होते हैं...

आज के हालत से रूबरू करवाती रचना , बहुत खूब

दिगम्बर नासवा ने कहा…

गैरत मरी नहीं,चिरागे हिंद
रखते हैं, अंगार सिने में ,
जर्रे , जर्रे में, भारत के ,
भगत सिंह,आजाद होते हैं ...

वीरों की कुर्बानियां दिल में दीप बन के जलती रहती हैं ... इन्ही की बदौलत आज वतन कायम है ...
१५ अगस्त की बधाई ...

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

भाई उदयवीर जी अच्छी कविता ब्लॉग पर उत्साहवर्धन हेतु आभार |सत श्री अकाल |स्वतंत्रता दिवस की बधाई |

कविता रावत ने कहा…

देश- द्रोह है ,शहीदों व देश
का अपमान करने वालों !
तारीख गवाह है ,हथेली में ,
सिर लिए, सरदार होते हैं -
...इतिहास को भूल कर यूँ ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब फिर से नया रचा जाएगा ..
बहुत बढ़िया सार्थक प्रस्तुति ..

Creative Manch ने कहा…

वतन की शान में , कुर्बान ,
वफादार होते हैं ,
मात्री - भूमि के गुस्ताख ,
यार नहीं , गद्दार होते हैं

वाह! बहुत अच्छे भाव हैं.यह जज़्बा बना रहे.

आजादी की वर्षगांठ पर बहुत- बहुत शुभकामनाएं.

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

बहुत ही बढ़िया
स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएँ!


सादर

kavita verma ने कहा…

itihas sakshi hai inhi veer sapooton ke karan ham aman chain se hai..abhar..

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

देश पर मिटनेवाले वीर शहीदों को नमन
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाये

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

Delivery to the following recipient failed permanently:

veer.ji@live.com

Technical details of permanent failure:
Google tried to deliver your message, but it was rejected by the recipient domain. We recommend contacting the other email provider for further information about the cause of this error. The error that the other server returned was: 550 550 Requested action not taken: mailbox unavailable (state 13).