गुरु तेरी महिमा अनाम ,
कोटिशः प्रणाम ......"
"तुम हो तो, हम दीप्त दीप हैं,
वरना गुमनाम हैं जर्रों की तरह ... "
गुरु शिक्षकों को समर्पित मेरे ..भाव ..
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नव ज्योति ,
पुरातन ,भविष्य
वर्तमान का ध्यान ,
आलोक में है समग्र धरा ,गगन
सृजन- हित अहर्निश
सृजित करते ,
सोपान...
तुम्हें संज्ञान है, स्वप्न का ,
क्या देखा जाना चाहिए ..
पत्थर की सजीविता
उपवन का सौन्दर्य ,
मानस की चिंतन -शिला,
का स्वरुप क्या हो .....
भान है-
रण की विजय,गंतव्य,
चिंता है तुम्हें,
समाज की ,देश की ,विनिर्माण की,
गढ़ो चन्द्रगुप्त सी ईंटें पुनः ,
शसक्त हो !समर्थ हो !
ज्ञान- गंगा ,सृजित हो
प्रवाह पाती है तुमसे.....
भरो हुंकार.
कह उठे संसार ...
"सर्वे भवन्ति सुखिनः ,
सर्वे सन्तु निरामया.. ... "
कोटि वंदन ,कोटि प्रणाम ....
गुरु !
तेरी महिमा अनाम...
उदय वीर सिंह
04 / 09 / 2012
10 टिप्पणियां:
तस्मै श्री गुरुवे नमः
अध्यापक का सबसे ज्यादा भारत में सम्मान है।
गोविन्द तक पहुँचाने वाला गुरू प्रथम सोपान है।।
गुरू ज्ञान का शक्ति पुंज है,
गुरू ही करुणा का निधान है,
विद्याओं का यह निकुंज है,
सबल राष्ट्र का महाप्राण है,
कंचन सा कर देने वाला गुरू पारस पाषाण है।
पहले गुरु माँ बाप है,दूजे शिक्षक होय
ता पीछे भगवान है,पढे सो पंडित होय,,,,
RECENT POST,तुम जो मुस्करा दो,
उत्कृष्ट पोस्ट
Excellent creation..
बहुत सुंदर सी पंक्तिया
गुरु की तस्वीर बना रही हैं
शीशा दिख रहा है
उसके अंदर छवि भी
नजर आ रही है !
गुरु को नमन ...
आभार आपका !
लाजवाब प्रस्तुति ... नमन है हर गुरु को आज के दिन ...
गुरु को नमन । आपको िस सुंदर रचना के लिये आभार ।
हिंदी के चमत्कारिक कवि की लेखनी रचना को नमन.गुरु की महिमा पर लिखी सुन्दर रचना के लिए बधाई .
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