माननीय !
आपके निष्ठावान,
कड़क बचन ,
कानून, अपने हाथ में
न लें...!
कानून महफूज हाथों में है l
निर्दोष ,मजलूम ,लाचार
भूखे, नंगे ,अधनंगे,आप की जद में हैं
अपराधी ,षड्यन्त्रकारी ,बलात्कारी ,
फरेबी, लुटेरे देश, समाज- द्रोही ,
आपकी पकड़ से बाहर....
शामे महफ़िल के हमसफ़र हैं l
लिख रहे हैं, आपकी करेक्टर रिपोर्ट
जो ढीली है ....
नशे में या दहशत में आप इतने कि ,
पतलून गीली है l
कांपते हाथों से कानून,
गिर पड़ी है......l
अजीब पसोपेश में हैं
आप उठाएंगे नहीं ,
हमें उठाने नहीं देंगे ......
- उदय वीर सिंह .
7 टिप्पणियां:
कटु सत्य...बहुत सटीक अभिव्यक्ति..
वाह!
आपकी इस ख़ूबसूरत प्रविष्टि को कल दिनांक 29-10-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-1047 पर लिंक किया जा रहा है। सादर सूचनार्थ
स्थितियाँ अवश्य सुधरेंगी..
बहुत सुन्दर प्रस्तुति |
आभार आदरणीय ||
बहुत खूब
भाई,,,बहुत सार्थक सटीक कथ्य,,,,,
RECENT POST LINK...: खता,,,
बहुत सटीक ..
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