हो मुकद्दर अपने देश के -
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मेरे देश के नौनिहालों ,तेरी सलामती के लिए अरदास ,
दुआएं,शौर्य अदम्य साहस को सलाम,एक कविता तेरे नाम -
सफल होती मेरी पूजा तुम्हें देख के
लिखने वाले हो मुकद्दर अपने देश के-
स्मृतियों में नित्य छवियाँ
कहीं गोवर्धन उठाने वाला ,
कोई नाहर के दांत गिनता
कोई सूरज निगलने वाला
माँ के लिए कटी है ,गर्दन कभी गणेश के-
इतिहास लिखा हुआ है
शूरवीरों तेरे खून से,
मुगलों की फ़ौज कांपी,
थी लाचार दो मासूम से-
दीवारों में चुन गए दो,धर्मवीर धर्मादेश के-
बंदूक बोने वाला
अपने खेतों में,मिसाल है ,
वतन का जर्रा - जर्रा
अपने लालों से निहाल है-
कायल रहेगी धरती,नौनिहालों तेरे जोश के -
बचपन कहीं न खोये ,
भूखा कोई न सोये,
हाथों में कलम किताबें ,
आँखें कभी न रोये-
कल के चाँद व सितारे हैं अभिषेक के -
- उदय वीर सिंह
4 टिप्पणियां:
दिन अपने भी फिर बहुरेंगे।
बढ़िया प्रस्तुति ।
आभार भाई जी ।।
सुन्दर प्रस्तुति!
बालदिवस के साथ भइयादूज की भी हार्दिक शुभकामनाएँ!
बहुत उत्कृष्ट रचना | सुंदर |
ஜ●▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬●ஜ
ब्लॉग जगत में नया "दीप"
ஜ●▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬●ஜ
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