कातिल न रहे -
यकीं नहीं है उन्हें मेरे गुनाहों पर ,
मुझे गम है , हम कातिल न रहे -
मुआफ मुझे , कर सको तो करो ,
मुझे गम है ,गुनाही से गाफिल न रहे-
जिगर बड़ा इतना छुप गया मेरा किया ,
मुझे गम है ,ख़ुशी मेरी शामिल न रहे-
क्या कहेगा मुझे ,दीदार - ए - दर्पण ,
कभी अजीज थे , वाजिब न रहे-
ख्वाब थी किश्ती ,लहरों का शहर ,
अब दरिया न रही , शाहिल न रहे -
जिसने भी लिखा होगा,फैसला मेरा
शायद मुहब्बत से वाकिफ़ न रहे -
- उदय वीर सिंह
4 टिप्पणियां:
बढ़िया प्रस्तुति |
शुभकामनायें-
लिखने वाले ने लिख डाले, मिलन के संग बिछोहे..
बहुत सुन्दर नज्म ,,,बधाई
resent post : तड़प,,,
बहुत सुंदर नज्म
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