रविवार, 9 दिसंबर 2012

जलाओ मशाल कि...


जलाओ मशाल कि रौशनी हो,
अभिशप्त प्रलेखों को फूंकने  का
हौसला रखो ....।

जलती मशाल में तेल कितना है ,
कम पड़े तो देह की चर्बी जलाने का,
फैसला रखो .....। 

हर तूफान से गुजरने का आता है हुनर,
तूफान रचने वालों से, तूफान का 
रास्ता  पूछो .....।

करवटें बदल लेने से ,रात ख़तम नहीं होती
चैन की नींद आये काँटों पर,
जूनून से वास्ता रखो  ...।

मौकापरस्तों ने इलहाम को भी बख्सा नहीं
वे क्या देंगे मुकाम  उन्हें 
बाहर का रास्ता रखो  ....।

परजीवियों को हलालो-हराम नहीं मालूम 
खून के आशिक, ख़ूनियों से 
फासला रखो .....।

सफेदपोशों का दौर ख़त्म करना होगा
वक्त का तकाजा है ,सरफरोशों का 
काफिला रखो ........। 

अपने घर में अजनवी होने का दर्द कैसा है ,
 याद आये तो ,कुछ कर गुजरने की
लालसा रखो ...... ।

                                     -उदय वीर सिंह 





      


9 टिप्‍पणियां:

Anupama Tripathi ने कहा…

करवटें बदल लेने से ,रात ख़तम नहीं होती
चैन की नींद आये काँटों पर,
जूनून से वास्ता रखो ...।
बहुत प्रभावी रचना ...
शुभकामनायें ...

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

हर साँस पर हौसला रहे
सुन्दर रचना

Smart Indian ने कहा…

@ अपने घर में अजनवी होने का दर्द कैसा है ,
याद आये तो ,कुछ कर गुजरने की
लालसा रखो ...

- समय रहते ही जग को जगाना पड़ेगा
अपनों को बचाने को सर्वस्व देना पड़ेगा

रचना दीक्षित ने कहा…

आप अपनी कविताओं के माध्यम से हर कविता के द्वारा एक सार्थक सन्देश देते है. यही कवितायेँ समाज के उत्थान में एक सार्थक भूमिका अदा करेंगी.

बहुत बधाई इस सुंदर लेखन के लिये.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत सार्थक ....

virendra sharma ने कहा…

जोश खरोश भर्ती सकारात्मक पोस्ट .

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

शानदार पंक्तियाँ भाव पूर्ण अभिव्यक्ति बधाई स्वीकारें,,

recent post: रूप संवारा नहीं...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

घूम-घूमकर देखिए, अपना चर्चा मंच
। लिंक आपका है यहीं, कोई नहीं प्रपंच।।
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज सोमवार के चर्चा मंच पर भी है!
सूचनार्थ!

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

सार्थक और बेहतरीन रचना...
:-)