बात करता है -
मांगता है दुआ अपने लिए
दूसरों को बद्दुआयें खैरात करता है -
जलता है शोलों की तरह दिल जिसका
शबनमी शुरुआत करता है-
जलाया न कभी अमन का दीया घर में,
मजलिस में रौशनी इफरात रखता है-
मगरूर इतना है सुनामी की तरह
आबाद चमन को बर्बाद करता है -
एक दिन पूछ लिया उससे अमन का रास्ता ,
हँस कर कहा बावले !
किसकी बात करता है -
सीख जीने का दस्तूर हूजुर !
हरिश्चन्द्र ,धर्मात्मा मरते हैं भूखे,
जा पकड़ अपनी राह!
क्यूँ दिन ख़राब करता है -
बात करता है .....|
उदय वीर सिंह
5 टिप्पणियां:
आदर्शों का मरुथल फैला,
प्यासे पंछी घूम रहे हैं।
बहुत सुंदर उम्दा अभिव्यक्ति,,,
recent post: मातृभूमि,
सटीक .... बहुत सुंदर
आदर्शों का मरुथल फैला,
प्यासे पंछी घूम रहे हैं।
सुंदर. उम्दा अभिव्यक्ति
बहुत ही सुन्दर मन से लिखी सुन्दर कविता |आभार भाई उदयवीर जी |
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