प्रिय मित्रों! व्यस्तताओं में आपसे रूबरू न होने का अफसोस ,अपनी पीड़ा अपना सुख आपसे न कह सका ,कारन छठवां अन्तराष्ट्रीय हिंदी सम्मलेन [दुबई ] में प्रतिभागिता | संस्मरण बाद में आप तक पहुंचाएंगे , पुनः आपसे संवाद पूर्ववत कायम रहे आपके स्नेह के साथ ....|
बसंत की रस-धार सुन्दर
संसार का निर्माण सुन्दर,
मनुष्यता का गान सुन्दर
प्रेम का आरंम्भ सुन्दरप्रेम का अवसान सुन्दर..|
गीत का लय ताल सुन्दर
बह चले हृदय के स्वर्ण- वन
आतिशी हो पुष्प की नभ
जाये शोक आये बसंत सुन्दर ... |
प्रकृत सुधा - रस सींचती
जड़-चेतन की मुस्कान सुन्दर
बरस रही अगाध नविका
कली कोपल का वितान सुन्दर....|
तज मालिन्य ,नव पात सम
नव सृजन की कर बात सुन्दर
प्रमाद विस्मृत,सद्दभाव जाग्रत
बंसरी बसंत की गान सुन्दर.... |
स्नेह सरिता मृदुभाव की
खोलती आँचल, प्रवाह सुन्दर
आ रे मन बावरे, होले मज्जित
बसंत की रस - धार सुन्दर ....|
उदय वीर सिंह
2 टिप्पणियां:
स्वागत हे आगत बसन्त..
[दुबई ]प्रतिभागिता संस्मरण के इन्तजार में,,,
प्रकृति पालकी पर चढकर,देखो ये मधुमास आ गया!
विदा हुआ हेमंत आज पर सबमें बसंती रंग छा गया!
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