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दरमियाँ दोस्ती के दुश्मनी भी साथ आई
हम तो हाथों में गुलाब लिए बैठे थे
मुरादें प्यार की थीं ,सुपारी साथ आयी-
मुक्तसर न हुयी ज़माने की संगदिली यारा
बेदर्द देता गया, हम लेते गए खामोश
अफ़सोस हम नहीं रहे तब मेरी याद आयी-
***फेहरिस्त लम्बी बनी मेरे गुनाहों की
मुझे उज्र नहीं था सिर्फ एक को छोड़ कर
,
जो जिंदगी मेरी नहीं, मेरे साथ क्यों आयी -
- उदय वीर सिंह
हम तो हाथों में गुलाब लिए बैठे थे
मुरादें प्यार की थीं ,सुपारी साथ आयी-
मुक्तसर न हुयी ज़माने की संगदिली यारा
बेदर्द देता गया, हम लेते गए खामोश
अफ़सोस हम नहीं रहे तब मेरी याद आयी-
***फेहरिस्त लम्बी बनी मेरे गुनाहों की
मुझे उज्र नहीं था सिर्फ एक को छोड़ कर
,
जो जिंदगी मेरी नहीं, मेरे साथ क्यों आयी -
- उदय वीर सिंह
5 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति!
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति.
Sir, Namaskar itni pyari rachna aur usme itni gahari jhakjhor denewali udaasi? Yahi jeewan hai aur iske roop nirale hai.. kshan-kshan pariwartansheel..... aur yahi sach bhi hai ..abhar ''
बहुत खूब, प्रभावी
फेहरिस्त लम्बी बनी मेरे गुनाहों की
मुझे उज्र नहीं था सिर्फ एक को छोड़ कर ,
जो जिंदगी मेरी नहीं, मेरे साथ क्यों आयी -
...बहुत सुन्दर दिल को छूती अभिव्यक्ति...
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