नशे में नाजनीं, महफ़िल में शोहरत
नाकामयाबी में दगाबाजी याद आई
याद आये और भी बहुत जब दौलत थी
दर्दे मुफलिशी में याद आई तो माँ आई-
उसके न रहने पर भी रूह कहती है माँ !
जुबां पर आवाज आई तो माँ आई-
एक ठोकर भी लगा माँ को बुलाते हैं
अपने लाल को उठाने आई तो माँ आई -
जब ज़माने ने पूछा तेरी पहचान क्या है
ये मेरा बेटा है ,शिनाख्त करने माँ आई
जन्नत भी पनाह में है माँ के कदमों की
जिंदगी की सौगात, लायी तो माँ लायी-
हिस्सेदार थे सभी उसकी उल्फत के
खामोश शब-ए-गम को तन्हा सहती रही
बेख़ौफ़ थी वो तीरगी और तूफानों से
लेकर हाथो में मशाल आई तो माँ आई-
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उदय वीर सिंह
6 टिप्पणियां:
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज रविवार (12-05-2013) के चर्चा मंच 1235 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
ma ....ma ke siva kuchh nahi ....ak shabd men sari duniya samaai hai ....
माँ तुझे नमन...बहुत सुन्दर ... .मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ...
सुन्दर सामयिक प्रस्तुति ...
मातृ दिवस की शुभकामनायें ..
माँ को नमन, सुन्दर रचना।
मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ नमन नमन
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