रविवार, 22 सितंबर 2013

सिया तो करो -

गुजर  जायेगी  जींद , जिया  तो  करो
थोड़ी - थोड़ी  प्रीत- मद पिया तो  करो-
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पीर की व्यथाओं में प्रीत मूक जाये ना
धागे  हैं   नेह    के  कहीं  टूट जाये ना -
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फटा  तेरा आँचल देख ,सिया तो करो -
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पढोगे ह्रदय  से मीत प्रीत की रुबाईयाँ
आँचल  भरेगा  इतनी पाओगे खुशियाँ-
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पाओगे   इतनी   प्रीत  दिया  तो  करो -
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बिखर  जाएगी  टूट  सदमों में जिंदगी
जब  भी काम आएगी आएगी वन्दगी -
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प्रेम की दवा को नियमित लिया तो करो -

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                                    - उदय वीर सिंह .








4 टिप्‍पणियां:

Anupama Tripathi ने कहा…

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति .....!!

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

अच्छी प्रस्तुति.....

आभार
अनु

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति !!
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प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

प्रेम सबकी दवा है...