बुधवार, 16 अक्तूबर 2013

उनको नजर आने दे -

उनको नजर आने दे -
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सहरा  में  सावन , बरस  जाने  दे-
पीर पर्वत सी होई पिघल जाने दे -

गुलजार  गुलशन  तो  होगा उदय

दर से तूफान को, तू गुजर जाने दे -

कैसे  टूटी  कसम ,पूछ  लेंगे वजह

अपने कूचे में उनको नजर आने दे -

दीप बुझता है घर का तो बुझ जाने दे

रास्ते में मुसाफिर के जल जाने दे -

पत्थरों की तरह कोई जीना भी क्या

बनके जर्रा  हवा संग बिखर जाने दे -

                                       -  उदय वीर सिंह


1 टिप्पणी:

विभूति" ने कहा…

बहुत ही खुबसूरत और प्यारी रचना..... भावो का सुन्दर समायोजन......