बुधवार, 26 फ़रवरी 2014

कहानी बन के देख -

सूखते  गए  नैन  दर्द  की बरसात जब आयी 
किसी गरीब  की  आँख का पानी बन के देख -

तलाश में दुष्यंत की शकुंतला दीवानी होती है 
अंगुली में खोये प्यार की निशानी बन के देख- 

उदय जला  हुआ  शजर परिंदों  को क्या देगा 
नीड़  जले शिशु,साखों की कहानी बन के देख -

किसी कर्ण और कुंती का दर्द कितना गहरा है 
किसी संजय की आँखों  निगहबानी करके देख -

                                             
- उदय वीर सिंह  



  

2 टिप्‍पणियां:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

माफी चाहूँगा आप ने किसी और का ब्लाग पढ़ा है कभी या टिप्पणी की है? आपको कहीं भी नहीं देखा इसलिये पूछ बैठा माफी चाहूंगा फिर से वैसे आप बहुत ही उम्दा लिखते हैं :)

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बहुत ही गहरी अभिव्यक्ति..