
किसके यश किसके अपयश की-
षड़यंत्रो के मद महासमर में
अर्जुन की या जयद्रथ वध की -
***
सफ़ेद - झूठ के दस्तावेजों
कसमें खाकर कहने वालों की
ऊँचे मोल, न्याय से वंचित
जन- पथ या जगमग पथ की -
***
हो बंधी आश जंजीरों से जब
निष्फल क्रंदन है याचन भी
अन्याय समर्थित उद्दघोष उठे
तो जनगण की या जनपथ की -
- उदय वीर सिंह
8 टिप्पणियां:
बहुत खूब । कलम ही बोल सकती है सच बस !
बहुत सुन्दर,सटीक !
लेटेस्ट पोस्ट कुछ मुक्तक !
जय आशा और धर्म की।
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (28.03.2014) को "
जय बोलें किसकी" (चर्चा अंक-1565)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें, वहाँ आपका स्वागत है, धन्यबाद।
आपकी यह पोस्ट आज के (२७ मार्च, २०१४) ब्लॉग बुलेटिन - ईश्वर भी वेकेशन चाहता होगा ? पर प्रस्तुत की जा रही है | बधाई
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सुन्दर रचना।
पढ़कर अच्छा लगा।
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