शनिवार, 19 अप्रैल 2014

उदय वीर सिंह



उदय वीर सिंह 
[ प्रश्नगत सन्दर्भों में ]
मैं बहैसियत कलमकार अपनी संवेदना व्यक्त की है ,भावना ,पीड़ा ,संवेदनाओं को मैं समझ सकता हूँमेरी सामर्थ्य क्या हैकुछ भी नहीं ,जितना कर सकता हूँ करता हूँ कह कर अपनी ही नज़रों में मैं गिरना नहीं चाहता, सिर्फ यही कह सकता हूँ कि किसी पदप्रतिष्ठा का मैं याचक नहीं  मैं राजनेता नहीं हूँ वादे और फरेब नहीं करता | पीड़ा क्या होती है ,इसका संज्ञान है मुझे ,अगर पीड़ा ,
ले नहीं सकता तो देने की सोच भी नहीं सकता ..शायद यही मेरे जीवन का दर्शन भी है |

 - उदय वीर सिंह 

1 टिप्पणी:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

इतना ही तो चाहिये भी होता है ना ।