हमें सुनो न सुनो ,उनको तो तुम्हें सुनना होगा
खुरदुरी जमीं के कदम ऐसे अजनवी क्यों हैं ,
सड़क आतिशी की है, तो हमसफ़र बनना होगा -
दम निकलता है चलने में ,न साथ जमाना जज्बा
उनको तेरी जरुरत है गुरबती में साथ चलना होगा-
अगर ली है इंसनिायत की हलफ ,माना खता हुई ,
भरी इजलास इंसान को इंसान ही कहना होगा -
1 टिप्पणी:
बहुत सुंदर ।
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