***** आशाओं को पंख लगे नित अरमानों के मेले हों - नेह सरित की धार बहे शुचिता संकल्प सुहेले हों - अभिव्व्यक्ति को राह मिले जीवन को खुशियां सारी वैधव्यहीन आँचल हो जाये पथ पावन प्रेम के डेरे हों - - उदय वीर सिंह
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (25.07.2014) को "भाई-भाई का भाईचारा " (चर्चा अंक-1685)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है, धन्यबाद।
9 टिप्पणियां:
बहुत ख़ूब!
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (25.07.2014) को "भाई-भाई का भाईचारा " (चर्चा अंक-1685)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है, धन्यबाद।
वाह जम रहे हैं खूब :)
अच्छी कामना।
बढ़िया प्रस्तुति।
अच्छी कामना।
बढ़िया प्रस्तुति।
आमीन ! शुभकामनाएं
अच्छे दिन आयेंगे !
बहुत ख़ूब
बहुत सुन्दर...
आपकी इस शुभ कामना में हम भी शामिल हैं।
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