उन्नयन (UNNAYANA)
रविवार, 27 जुलाई 2014
मन की पीड़ा खोने दो -
हंसने दो अब जीवन को
विषमताओं को रोने दो -
पानी खुशियां प्रेम सुमंगल
मन की पीड़ा खोने दो -
द्वारे दस्तक हो रही है
प्राण वायु को आने दो -
जीया बहुत शूल संग कैसे
अब फूलों के संग हँसने दो -
- उदय वीर सिंह
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