तेरा अस्तित्व किसी व्यवस्था से नहीं,
व्यवस्था तुमसे है अहसास तो कर -
कैद है तमाम जिंदगी जुल्मों सितम की जेल
साजिशों से उन्हें आजाद तो कर-
बन एक चिराग के जलने की वजह कामिल
परवानों के जलने की परवाह न कर-
उजड़ कर ही बसी हैं वो उनकी फितरत है
नयी सोच की बस्तियां आबाद तो कर -
- उदय वीर सिंह
2 टिप्पणियां:
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति आज बुधवारीय चर्चा मंच पर ।।
बहुत सुन्दर
अनुभूति : ईश्वर कौन है ?मोक्ष क्या है ?क्या पुनर्जन्म होता है ?
मेघ आया देर से ......
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