मेरे मुल्क में कौन रहता है .मुझे नहीं मालूम
इतना मालूम हैयहाँ फिरके वालों की बस्तियां हैं -
इतना मालूम हैयहाँ फिरके वालों की बस्तियां हैं -
इंसान और इंसानियत कहीं टूर गए दबे पांव
उन्माद के समंदर में आबाद मजहबी किश्तियाँ हैं -
उदय गम और ख़ुशी भी कितने बदले बदले से हैं
किसी की बरबादियों में बसती किसी की खुशियां हैं-
आग तो आग है जब जलती है तो जला देती है
काजी- काफिर के मसलों में जली तमाम सदियाँ हैं -
- उदय वीर सिंह
1 टिप्पणी:
चोरोम अशआर उम्दा हैं।
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