अंधेरी गली का लैम्प पोस्ट
दिन में
जलता, बुझता है
रात के अँधेरों में गुम हो जाता है
गली का चौकीदार
ढूँढता है नहीं पाता है ।
काला शीशा चढ़ी काली गाड़िया
गुजर जाती हैं रफ्तार से ,
उनकी फ्लैश लाईट में
चौंधिया कर देखता रह जाता है ।
न जाने कहाँ से ऊर्जा मिली
एक रात प्रकाशित हो गया
लैम्प पोस्ट .....
चौकीदार देख सकता था,
हर गुजरती नाजनी सी सेडानों को
दिया हाथ आगंतुक पंजिका में दर्ज करने को
नाम पता नंबर ....।
न रुका कोई ,
कुछ पल बाद आता दिखा जल्लाद बुलडोजर
अब न था लैम्प पोस्ट
न बचा चौकीदार,
बेनामों का पता दर्ज करने को .........।
उदय वीर सिंह
1 टिप्पणी:
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवार के - चर्चा मंच पर ।।
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