गा रहे हैं गीत इक ,मेरे हमनवा नसीब है
कस्रे मोहब्बत पास है हर रोज मेरी ईद है -
कस्रे मोहब्बत पास है हर रोज मेरी ईद है -
गुल खिलेंगे हर डाल पर गर गुलशन रहा
भूल जाएंगे ख़िज़ाँ के वस्ल को उम्मीद है -
भूल जाएंगे ख़िज़ाँ के वस्ल को उम्मीद है -
हम सिकंदर न हुये हमसफर हैं हम कदम
फतह हमारी है लिखी गर दौर भी रकीब है -
फतह हमारी है लिखी गर दौर भी रकीब है -
गुरबती गर साथ है तो हौसला भी कम नहीं
डूबा सफ़ीना गम नहीं साहिल अब करीब है -
डूबा सफ़ीना गम नहीं साहिल अब करीब है -
उदय वीर सिंह
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