मत भूल सहर के बाद भी शब रूबरू होगी
संभाल के रख फिर चिरागों की जरूरत होगी -
संभाल के रख फिर चिरागों की जरूरत होगी -
चौदहवीं की रात पहलू में होगी एक दिन ही न
यकीनन फिर जुगनुओं की तिजारत होगी -
रिश्तों की सड़ांध जीने न देगी गुलशन में भी
हर दयार को एतबारो मोहब्बत की जरूरत होगी -
सफर ए जिस्त ,मिलेंगे न जाने कैसे कैसे लोग
दिल काला होगा उनकी पैरहन खूबसूरत होगी -
उदय वीर सिंह
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