संस्कारों के बीज तो बोये गए बहुत
संस्कृति बेअसर हो जाए तो क्या करें -
नजर खंजर हो जाए, फिजाँ तूफान
दरिया समंदर हो जाए तो क्या करें -
मांगी दुआ थी हमने अमन बसाने की
जब शहर बंजर हो जाए तो क्या करें -
पत्थरों के मकान में दिल पत्थर के हुए
दर सियासी मंजर हो जाए तो क्या करें -
खून का रंग सफ़ेद हो गया है रगों में
विस्वास नस्तर हो जाए तो क्या करें -
रहे अर्थियों से लेकर अर्चना तक भिज्ञ
जब प्रसून बिस्तर हो जाए तो क्या करें -
उदय वीर सिंह
संस्कृति बेअसर हो जाए तो क्या करें -
नजर खंजर हो जाए, फिजाँ तूफान
दरिया समंदर हो जाए तो क्या करें -
मांगी दुआ थी हमने अमन बसाने की
जब शहर बंजर हो जाए तो क्या करें -
पत्थरों के मकान में दिल पत्थर के हुए
दर सियासी मंजर हो जाए तो क्या करें -
खून का रंग सफ़ेद हो गया है रगों में
विस्वास नस्तर हो जाए तो क्या करें -
रहे अर्थियों से लेकर अर्चना तक भिज्ञ
जब प्रसून बिस्तर हो जाए तो क्या करें -
उदय वीर सिंह
2 टिप्पणियां:
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, सरकार भरोसे नौजवान - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
sundar kavita
एक टिप्पणी भेजें