शनिवार, 12 दिसंबर 2015

अनाथालय छोड़ आया है ....

न डरी कभी शैलाबो तूफान से ताउम्र
ये कैसा उसके जीवन में मोड़ आया है-
अपनी खुशी के लिए वो मन्नतें मांगे
बेटा मंदिर में नारियल फोड़ आया है -
बोझ बन गई है दर्दनाशिनी दर्द लेकर
जीवन की सांझ में रिश्ते तोड़ आया है -
खांसी जोड़ों के दर्द से नींद उचट जाती है
नामुराद रिश्तों का कैसा दौर आया है -
उसने सवाल भी न पूछा सूनी आँखों से
आज बेटा माँ को अनाथालय छोड़ आया है -

उदय वीर सिंह

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