क्या लिखोगे सुखनवर ....
क्या लिखोगे सुखनवर पहले
किसी सुख़न का अधिकार बन
तमाशाई है ये दुनियाँ पहले
किसी तमाशा का किरदार बन -
जिंदगी कोई जुमला नहीं है
डूबती किश्ती का पतवार बन
पीछे होती है जमात कलम आगे
काफिले का सरदार बन -
पढ़ी जाती हैं खून से लिखी दासतां
खुद की कुर्बानी की तलवार बन -....
उदय वीर सिंह
1 टिप्पणी:
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार 15 दिसम्बर 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
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