काश कि तुम्हारी बेटी होती तुम्हारा बेटा होता
क्या होता है उन्हें खोने का दर्द तुम्हें पता होता -
जीवन की शाम का खौफ, टूटी बैसाखी का ड़र
तुम्हें भी मालूम होता जो तेरा चिराग बुझा होता -
न आएगी भरोषे की अब आवाज वो मजबूत कंधे
सुनी आँखें ,बिखरे स्वप्न सिंदूर जो मिटा होता-
एक बहन का भाई बेटे की दीवार माँ की दुनियाँ
बाप की दवाई का हिसाब भी कहीं लिखा होता -
उदय वीर सिंह
2 टिप्पणियां:
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार 07 जनवरी 2016 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
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