बुधवार, 6 जनवरी 2016

सिंदूर जो मिटा होता

काश कि तुम्हारी बेटी होती तुम्हारा बेटा होता
क्या होता है उन्हें खोने का दर्द तुम्हें पता होता -
जीवन की शाम का खौफ, टूटी बैसाखी का ड़र
तुम्हें भी मालूम होता जो तेरा चिराग बुझा होता -
आएगी भरोषे की अब आवाज वो मजबूत कंधे
सुनी आँखें ,बिखरे स्वप्न सिंदूर  जो मिटा होता-
एक बहन का भाई बेटे की दीवार माँ की दुनियाँ

 बाप की दवाई का हिसाब भी कहीं लिखा होता -

उदय वीर सिंह 

2 टिप्‍पणियां:

yashoda Agrawal ने कहा…

आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार 07 जनवरी 2016 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

yashoda Agrawal ने कहा…

आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार 07 जनवरी 2016 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!