मनुष्य भेद की बात न कर
सरस सलिल सा जीवन
है
षडयंत्रो से आघात
न कर -
जब जीवन की छांव मिली
मुस्कान भरो अधरों
पर
स्नेह समर्पण अनुराग बने
राग द्वेष की बात न कर
जीवन के स्वर बेसुर कैसे
जब राग अनेकों संचित हैं
समय शिला की भित्ति
पर
जीवन का उपहास न कर -
समय मिला किसको इतना
युग युग का दर्शन कर पाये
प्राणित हो शुभ सृजन शृंखला
शुभ कर्मो से सन्यास न कर -
उदय वीर सिंह
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