रविवार, 15 मई 2016

जमीर बंजर हो गया

****[ स्वीटजरलैंड की एक फुरसती शाम ......]
जमीन बंजर हो गई 
जमीर बंजर हो गया -
पूछ कलमकार से क्यों
विचार खंजर हो गया -
छांव स्वप्न हो गई
ऊंचा शजर जो हो गया-
आया गुलाम नींद में
आजाद मंजर हो गया -
रोटी बनाम आबरू ईमान
इंतजाम बंजर हो गया -
सत्य निष्ठा गुम गए
इंसान बंजर हो गया -
उदय वीर सिंह

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