तेरे घर का आईना तुम्हारा न होगा
भले तोड़ दोगे , बेचारा न होगा -
पलकों को आँसू भिगो कर चले हैं
कभी लौट आना दुबारा न होगा -
बड़ी मुश्किलों से मिलती जमी है
सागर से मांगो गुजारा न होगा -
पूनम की रातों मे विपुल चाँद तेरा
अमावस में कोई सितारा न होगा -
लौटोगे जब भी हो मय - मेकदे से
दरिया तो होगी सिकारा न होगा
उदय वीर सिंह
भले तोड़ दोगे , बेचारा न होगा -
पलकों को आँसू भिगो कर चले हैं
कभी लौट आना दुबारा न होगा -
बड़ी मुश्किलों से मिलती जमी है
सागर से मांगो गुजारा न होगा -
पूनम की रातों मे विपुल चाँद तेरा
अमावस में कोई सितारा न होगा -
लौटोगे जब भी हो मय - मेकदे से
दरिया तो होगी सिकारा न होगा
उदय वीर सिंह
3 टिप्पणियां:
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 07 सितम्बर 2016 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (07-09-2016) को हो गए हैं सब सिकन्दर इन दिनों ...चर्चा मंच ; 2458 पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत बढ़िया
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