जितना बड़ा आँचल हुआ
जितना बड़ा आँचल हुआ उतना समान आया
बांटा जितना नेह हमने ,उतना ही मान पाया -
बहे लोर नैन जितना, टूट अपने तलाशे हैं
खेरू- खेरू जींद ,विचों अपना भी नाम आया -
सोचा न किसने अपना, दामन छुड़ाया वीर
गुमनाम राहों ने भी, आखिर मुकाम पाया -
उदय वीर सिंह
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