बुधवार, 23 नवंबर 2016

सफर आशिक़ी के ......

सवालों की रातें हैं ,जवाबों के दिन हैं
सफर आशिक़ी के कितने कठिन है -
कहता है चाँद भी ये आसमा हमारा है
सितारों के गाँव भी तुम्हारे  नहीं हैं -
आंसुओं की सेज पर फूल लगते कांटे हैं
निगाहें जमाने की कितनी मलिन हैं -
गलियाँ चौबारे घर हँसती हैं वादियाँ
हुआ बावला है कोई आया दुर्दिन है -


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