शुक्रवार, 25 नवंबर 2016

सिर्फ पैसा चल रहा है ...

कल ऐसा न हो जैसा कल रहा है .... 
थम गई है रफ्तार ए जिंदगी
सिर्फ अब पैसा चल रहा है -
किसी का सूरज निकल रहा
किसी का सूरज ढल रहा है -
कोई पेन्सन कोई दिहाड़ी तो
कोई लूट की रकम बदल रहा है -
कोई देश की चिंता में विकल
कोई छाती पर मूंग दल रहा है -
सरगोशियाँ हैं बदल जाएगी सूरत
अपने पैरों पर देश संभल रहा है -
दम निकल जाए कि कुएं के पास
कल ऐसा न हो जैसा कल रहा है -
उदय वीर सिंह

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