शुक्रवार, 4 नवंबर 2016

शौर्य को शमशीर का उपहार दे -

न बहने दे बेदना को आँखों से 
शौर्य को शमशीर का उपहार दे 
दया और करुणा के पक्षधर तो हैं 
शांति के लिए शत्रु को संहार दे -
किसी गोरी  गजनी की नजर उठे
दृष्टि छिन ले आँखों में अंधकार दे 
संस्कार है अतिथियों का आदर करना 
घातियों को मौत के घाट उतार दे -

उदय वीर सिंह 

1 टिप्पणी:

Onkar ने कहा…

ओजस्वी रचना