रविवार, 6 नवंबर 2016

जिंदगी सुख दुख का आँगन ....



ये जिंदगी शीशा नहीं कि
टूटकर कर बनती नहीं -
ये जिंदगी पत्थर नहीं कि
दुब ऊपर उगती नहीं -
जिंदगी एक दिल नहीं कि 
बंद हो खुलती नहीं -
जिंदगी किसलय नहीं कि
एक बार खिल, खिलती नहीं -
जिंदगी सुख दुख का आँगन
अग्नि की सरिता नहीं -
जिंदगी का फलसफा है
छोड़कर मिलती नहीं -
उदय वीर सिंह

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