जय बोल उदय दलाली की-
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न दाल गले न दांव चले जब
जा छाँव उदय दलाली की-
दिल टुटा या दंश लगा
गह पांव उदय दलाली की -
तीर कमान या तोप खरीदो
खुली है हाट दलाली की -
मिर्च मसला कपड़ा कागज
सब भेंट चढ़े दलाली की-
जड़ जमीन का ऊँचा सौदा
जिस्म भी राह दलाली की-
लभ- गुरु का सीजन चमका
बीमार भी नाव दलाली की -
अभिनेता -नेता क्या कहने
सब रंगे हाथ दलाली की -
शिक्षा दीक्षा आंदोलन बिकता
घर मोल - भाव दलाली की -
भूखा पेट मल्हार क्या गाये
अन्न चढ़ा भेंट दलाली की -
मंत्री , संतरी अफसर बाबू
प्रिय पूजे चरण दलाली की -
मन उदास मन मैला न कर
जा गठ्ठर बांध दलाली की -
शादी का बधन चाहे तलाक
बनती सरकार दलाली की -
उदय वीर सिंह
1 टिप्पणी:
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुकर्वार (23-12-2016) को "पर्दा धीरे-धीरे हट रहा है" (चर्चा अंक-2565) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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